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हिंदी कहानियां - भाग 102

एक दिन बादशाह ने फरमाइश की उन्हें चार चीजें बतलाओ -


जो यहाँ हो, वहां नहीं।

जो वहां तो हो, यहां नहीं।

जो यहां भी नहीं, वहां भी नहीं।

जो वहां और यहां दोनों जगह हो।

बीरबल ने दो दिन की मोहलत मांगते हुए कहा, जहाँपनाह, मैं दो दिनों में आपके सामने चारों को हाजिर कर दूंगा।

दो दिनों के बाद बीरबल ने एक वेश्या, एक साधु, एक भिखारी और एक दानवीर सेठ को बादशाह के सामने लाकर खड़ा कर दिया।

बादशाह ने भरे दरबार में रहस्य पूछा तो बीरबल ने बताया, यह वेश्या है जो यहां तो सुखी और संपन्न है, सारे सुख इसके कदमों में बिछे हैं परन्तु यह पाप करती है, अतः यहाँ तो यह है, इसकी जगह वहाँ स्वर्ग में नहीं होगी।

दूसरे ये हैं साधु, जो यहाँ कष्ट भोग रहे हैं परन्तु पुण्य और ताप करते हैं, ये यहाँ सुखी नहीं हैं, इनकी जगह वहाँ जरूर होगी।

तीसरा ये भिखारी है, यह यहाँ भी सुखी नहीं है और अच्छे कर्म न करने के कारण यह वहां भी सुखी नहीं होगा।

चौथे ये दानवीर सेठ हैं, ये यहाँ दान-पुण्य करते हैं। इसलिए इनकी वहाँ भी होगी, यहाँ भी सुखी हैं।

इसकी वहां भी है और यहाँ भी है। दोनों जगह पर ये हैं।

बादशाह की फरमाइश पूरी हुई। उन्होंने वेश्या को वहाँ तक आने की फ़ीस साधु को सम्मान, भिखारी को दान, सेठ को सम्मान और उपाधि दी।

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